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Chapter | 7. बादल राग |
Subject | Hindi |
Textbook | Aroh, काव्य भाग |
Class | Twelve |
Category | NCERT Solutions for Class 12 |
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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 7 Question Answer
बादल राग Solutions
व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
Q1 निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर सप्रसंग व्याख्या कीजिए और नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
तिरती हैं समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जगके दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया-
यह तेरी रण-तरी
भरी आकांक्षाओं से,
धन्, भेरी-गर्जन से सजग सुप्त अंकुर
उर में पृथ्वी के, आशावों से
नवजीवन की, ऊँचा कर सिर,
तक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल
Answer)
प्रसंग- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ में संकलित कविता ‘बादल राग’ से उद्धृत है। इसके रचयिता महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हैं। इसमें कवि ने बादल को विप्लव व क्रांति का प्रतीक मानकर उसका आहवान किया है।
व्याख्या- कवि बादल को संबोधित करते हुए कहता है कि हे क्रांतिदूत रूपी बादल! तुम आकाश में ऐसे मैंडराते रहते हो जैसे पवन रूपी सागर पर कोई नौका तैर रही हो। यह उसी प्रकार है जैसे अस्थिर सुख पर दुख की छाया मैंडराती रहती है। सुख हवा के समान चंचल है तथा अस्थायी है। बादल संसार के जले हुए हृदय पर निर्दयी प्रलयरूपी माया के रूप में हमेशा स्थित रहते हैं। बादलों की युद्धरूपी नौका में आम आदमी की इच्छाएँ भरी हुई रहती हैं। कवि कहता है कि हे बादल! तेरी भारी-भरकम गर्जना से धरती के गर्भ में सोए हुए अंकुर सजग हो जाते हैं अर्थात कमजोर व निष्क्रिय व्यक्ति भी संघर्ष के लिए तैयार हो जाते हैं। हे विप्लव के बादल! ये अंकुर नए जीवन की आशा में सिर उठाकर तुझे ताक रहे हैं अर्थात शोषितों के मन में भी अपने उद्धार की आशाएँ फूट पड़ती हैं।
विशेष-
(i) बादल को क्रांतिदूत के रूप में चित्रित किया गया है।
(ii) प्रगतिवादी विचारधारा का प्रभाव है।
(iii) तत्सम शब्दावलीयुक्त खड़ी बोली है।
(iv) काव्य की रचना मुक्त छंद में है।
(v) ‘समीर-सागर’, ‘दुख की छाया’ आदि में रूपक, ‘सजग सुप्त’ में अनुप्रास तथा काव्यांश में मानवीकरण अलंकार है।
(vi) वीर रस का प्रयोग है।
प्रश्न
(क) कवि किसका आहवान करता हैं? क्यों?
(ख) ‘यह तेरी रण-तरी भरी आकांक्षाओं से ‘ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ग) ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया-पंक्ति का अर्थ बताइए।
(घ) पृथ्वी में सोए हुए अंकुरों पर किसका क्या प्रभाव पड़ता हैं?
उत्तर-
Answer क) कवि बादल का आहवान करता है क्योंकि वह उसे क्रांति का प्रतीक मानता है। बादल बरसने से आम जनता को राहत मिलती है तथा बिजली गिरने से विशिष्ट वर्ग खत्म होता है।
Answer ख) इस पंक्ति का आशय यह है कि जिस प्रकार युद्ध के लिए प्रयोग की जाने वाली नाव विभिन्न हथियारों से सज्जित होती है उसी प्रकार बादलों की युद्धरूपी नाव में जन-साधारण की इच्छाएँ या मनोवांछित वस्तुएँ भरी हैं जो बादलों के बरसने से पूरी होंगी।
Answer ग) इस पंक्ति का अर्थ यह है कि जिस प्रकार वायु अस्थिर है, बादल स्थायी है, उसी प्रकार मानव-जीवन में सुख अस्थिर होते हैं तथा दुख स्थायी होते हैं।
Answer घ) पृथ्वी में सोए हुए अंकुरों पर बादलों की गर्जना का प्रभाव पड़ता है। गर्जना सुनकर वे नया जीवन पाने की आशा से सिर ऊँचा करके प्रसन्न होने लगते हैं।
Q2)
फिर-फिर
बार-बार गर्जन
वर्षण है मूसलधार,
हृदय थाम लेता संसार,
सुन-सुन घोर वज्र-हुंकार।
अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर,
क्षत-fवक्षतं हतं अचल-शरीर,
गगन-स्पर्शी स्पद्र्धा धीर।
हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार
शस्य अपार,
हिल-हिल ,
खिल-खिल,
हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,
विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।
प्रसंग- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2′ में संकलित कविता ‘बादल राग’ से उद्धृत है। इसके रचयिता महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हैं। इसमें कवि ने बादल को विप्लव व क्रांति का प्रतीक मानकर उसका आहवान किया है।
व्याख्या- कवि कहता है कि हे क्रांतिकारी बादल! तुम बार-बार गर्जन करते हो तथा मूसलाधार बारिश करते हो। तुम्हारी वज्र के समान भयंकर आवाज को सुनकर संसार अपना हृदय थाम लेता है अर्थात भयभीत हो जाता है। बिजली गिरने से आकाश की ऊँचाइयों को छूने की इच्छा रखने वाले ऊँचे पर्वत भी उसी प्रकार घायल हो जाते हैं जैसे रणक्षेत्र में वज़ के प्रहार से बड़े-बड़े वीर मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। दूसरे शब्दों में, बड़े लोग या पूँजीपति ही क्रांति से प्रभावित होते हैं। इसके विपरीत, छोटे पौधे हँसते हैं। वे उस विनाश से जीवन प्राप्त करते हैं। वे अपार हरियाली से प्रसन्न होकर हाथ हिलाकर तुझे बुलाते हैं। विनाश के शोर से सदा छोटे प्राणियों को ही लाभ मिलता है। दूसरे शब्दों में, क्रांति से निम्न व दलित वर्ग को अपने अधिकार मिलते हैं।
विशेष-
(i) कवि ने बादल को क्रांति और विद्रोह का प्रतीक माना है।
(ii) कवि का प्रगतिवादी दृष्टिकोण व्यक्त हुआ है।
(iii) प्रतीकात्मकता का समावेश है।
(iv) प्रकृति का मानवीकरण किया गया है।
(v) बार-बार, सुन-सुन, हिल-हिल, शत-शत, खिल-खिल में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार तथा ‘हाथ हिलाने’ में अनुप्रास अलंकार है।
(vi) ‘हृदय थामना’, ‘हाथ हिलाना’ मुहावरे का सार्थक प्रयोग है।
(vii) तत्सम शब्दावलीयुक्त खड़ी बोली है।
(viii) वीर रस है।
(ix) मुक्तक छंद है।
प्रश्न
(क) संसार के भयभीत होने का क्या कारण हैं?
(ख) क्रांति की गर्जना पर कौन है ?
(ग) गगन-स्पर्शी स्पद्र्धा -धीर- कौन है ?
(घ) लघुभार, शस्य अपार किनके प्रतीक हैं। वे बादलों का स्वागत किस प्रकार करते हैं?
उत्तर-
Answer क) बादल भयंकर मूसलाधार बारिश करते हैं तथा वज्र के समान कठोर गर्जना करते हैं। इस भीषण गर्जना को सुनकर प्रलय की आशंका से संसार भयभीत हो जाता है।
Answer ख) क्रांति की गर्जना से निम्न वर्ग के लोग हँसते हैं क्योंकि इस क्रांति से उन्हें कोई नुकसान नहीं होता, अपितु उनका शोषण समाप्त हो जाता है। उन्हें उनका खोया अधिकार मिल जाता है।
Answer ग) गगन-स्पर्शी स्पद्र्धा धीर वे पूँजीपति लोग हैं जो अत्यधिक धन कमाना चाहते हैं। वे संसार के अमीरों में अपना नाम दर्ज कराने के लिए होड़ लगाए रहते हैं।
Answer घ) लघुभार वाले छोटे-छोटे पौधे किसान-मजदूर वर्ग के प्रतीक हैं। वे झूम-झूमकर खुश होते हैं तथा हाथ हिला-हिलाकर बादलों का स्वागत करते हैं।
Q3)
अट्टालिका नहीं है रे
आंतक–भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लवन,
क्षुद्र प्रफुल्ल जलजं से
सदा छलकता नीर,
रोग-शोक में भी हसता है
शैशव का सुकुमार शरीर।
रुद्ध कोष हैं, क्षुब्ध तोष
अंगना-अगा सो लिपटे भी
आतंक अंक पर काँप रहे हैं।
धनी, वज्र-गर्जन से बादल
त्रस्त नयन-मुख ढाँप रहे हैं।
प्रसंग- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ में संकलित कविता ‘बादल राग’ से उद्धृत है। इसके रचयिता महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हैं। इसमें कवि ने बादल को विप्लव व क्रांति का प्रतीक मानकर उसका आहवान किया है।
व्याख्या- कवि कहता है कि पूँजीपतियों के ऊँचे-ऊँचे भवन मात्र भवन नहीं हैं अपितु ये गरीबों को आतंकित करने वाले भवन हैं। ये सदैव गरीबों का शोषण करते हैं। वर्षा से जो बाढ़ आती है, वह सदा कीचड़ से भरी धरती को ही डुबोती है। भयंकर जल-प्लावन सदैव कीचड़ पर ही होता है। यही जल जब कमल की पंखुड़ियों पर पड़ता है तो वह अधिक प्रसन्न हो उठता है। प्रलय से पूँजीपति वर्ग ही प्रभावित होता है। निम्न वर्ग में बच्चे कोमल शरीर के होते हैं तथा रोग व कष्ट की दशा में भी सदैव मुस्कराते रहते हैं। वे क्रांति होने में भी प्रसन्न रहते हैं। पूँजीपतियों ने आर्थिक साधनों पर कब्जा कर रखा है। उनकी धन इकट्ठा करने की इच्छा अभी भी नहीं भरी है। इतना धन होने पर भी उन्हें शांति नहीं है। वे अपनी प्रियाओं से लिपटे हुए हैं फिर भी बादलों की गर्जना सुनकर काँप रहे हैं। वे क्रांति की गर्जन सुनकर भय से अपनी आँखें बँद किए हुए हैं तथा मुँह को छिपाए हुए हैं।
विशेष-
(i) कवि ने पूँजीपतियों के विलासी जीवन पर कटाक्ष किया है।
(ii) प्रतीकात्मक भाषा का प्रयोग है।
(iii) तत्सम शब्दावलीयुक्त खड़ी बोली है।
(iv) पंक पर, अंगना-अंग, आतंक अंक में अनुप्रास अलंकार है।
(v) मुक्तक छंद है।
प्रश्न
(क) ‘पक’ और ‘अट्टालिका’ किसके प्रतीक हैं?
(ख) शैशव का सुकुमार शरीर किसमें हँसता रहता हैं?
(ग) धनिक वर्ण के लोग किससे भयभीत हैं? वे भयभीत होने पर क्या कर रहे हैं?
(घ) कवि ने भय को कैसे वर्णित किया है?
उत्तर-
Answer क) ‘पंक’ आम आदमी का प्रतीक है तथा ‘अट्टालिका’ शोषक पूँजीपतियों का प्रतीक है।
Answer ख) शैशव का सुकुमार शरीर रोग व शोक में भी हँसता रहता है। दूसरे शब्दों में, निम्न वर्ग कष्ट में भी प्रसन्न रहता है।
Answer ग) फूलोगक्रांतसे भावी हैं। वे अपान पिलयों कागदमें लोहुएहैं तथा भायसेअन ऑों व मुँ को ढँक रहे हैं।
Answer घ) कवि ने बादलों की गर्जना से धनिकों की सुखी जिंदगी में खलल दिखाया है। वे सुख के क्षणों में भी भय से काँप रहे हैं। इस प्रकार भय का चित्रण सटीक व सजीव है।
Q4)
रुद्ध कोष है, क्षुब्ध तोष
अंगना-अग से लिपट भी
आतंक अंक पर काँप रहे हैं।
धनी, वज्र-गर्जन से बादल
त्रस्त नयन-मुख ढाँप रहे हैं।
जीर्ण बाहु, है शीर्ण शरीर,
तुझे बुलाता कृषक अधीर,
ऐ विप्लव के वीर!
चूस लिया हैं उसका सार,
धनी, वज़-गजन से बादल।
ऐ जीवन के पारावार!
प्रसंग- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह, भाग-2’ में संकलित कविता ‘बादल राग’ से उद्धृत है। इसके रचयिता महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हैं। इसमें कवि ने बादल को विप्लव व क्रांति का प्रतीक मानकर उसका आहवान किया है।
व्याख्या- कवि कहता है कि हे विप्लव के वीर! शोषण के कारण किसान की बाँहें शक्तिहीन हो गई हैं, उसका शरीर कमजोर हो गया है। वह शोषण को खत्म करने के लिए अधीर होकर तुझे बुला रहा है। शोषकों ने उसकी जीवन-शक्ति छीन ली है, उसका सार तत्त्व चूस लिया है। अब वह हड्डियों का ढाँचा मात्र रह गया है। हे जीवन-दाता! तुम बरस कर किसान की गरीबी दूर करो। क्रांति करके शोषण को समाप्त करो।
विशेष-
(i) कवि ने किसान की दयनीय दशा का सजीव चित्रण किया है।
(ii) विद्रोह की भावना का वर्णन किया है।
(iii) ‘शीर्ण शरीर’ में अनुप्रास अलंकार है तथा काव्यांश में मानवीकरण अलंकार है।
(iv) तत्सम शब्दावलीयुक्त खड़ी बोली है।
(v) मुक्तक छंद है।
(vi) संबोधन शैली का भी प्रयोग है।
(vii) चित्रात्मक शैली है।
प्रश्न
(क) ‘विप्लव के वीर!” किसे कहा गया हैं? उसका आहवान क्यों किया जा रहा हैं?
(ख) कवि ने किसकी दुर्दशा का वर्णन किया है ?
(ग) भारतीय कृषक की दुर्दशा के बारे में बताइए।
(घ) ‘जीवन के पारावार’ किसे कहा गया हैं तथा क्यों?
उत्तर-
Answer क) विप्लव के वीर! बादल को कहा गया है। बादल क्रांति का प्रतीक है। क्रांति द्वारा विषमता दूर करने तथा किसानमजदूर वर्ग का जीवन खुशहाल बनाने के लिए उसको बुलाया जा रहा है। किसान और मजदूर वर्ग की दुर्दशा का कारण पूँजीपतियों द्वारा उनका शोषण किया जाना है।
Answer ख) कवि ने भारतीय किसान की दुर्दशा का वर्णन किया है।
Answer ग) भारतीय कृषक पूरी तरह शोषित है। वह गरीब व बेसहारा है। शोषकों ने उससे जीवन की सारी सुविधाएँ छीन ली हैं। उसका शरीर हड्डयों का ढाँचा मात्र रह गया है।
Answer घ) ‘जीवन के पारावार’ बादल को कहा गया है। बादल वर्षा करके जीवन को बनाए रखते हैं। फसल उत्पन्न होती है तथा पानी की कमी दूर होती है। इसके अलावा क्रांति से शोषण समाप्त होता है और जीवन खुशहाल बनता है।
काव्य-सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न
निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
Q1)
रुद्ध कोष है, क्षुब्ध तोष
अंगना-अग से लिपट भी
आतंक अंक पर काँप रहे हैं।
धनी, वज्र-गर्जन से बादल
त्रस्त नयन-मुख ढाँप रहे हैं।
जीर्ण बाहु, है शीर्ण शरीर,
तुझे बुलाता कृषक अधीर,
ऐ विप्लव के वीर!
चूस लिया हैं उसका सार,
धनी, वज़-गजन से बादल।
त्रस्त-नयन मुख ढाँप रहे हैं।
ऐ जीवन के पारावार !
प्रश्न
(क) धनिकों और कृषकों के लिए प्रयुक्त विशेषणों का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ख) ‘विल्पव के वीर’ शब्द के सौंदर्य को उद्घाटित कीजिए।
(ग) इस कव्यांस की भाषिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
Answer क) कवि ने धनिकों के लिए रुद्ध, आतंक, त्रस्त आदि विशेषणों का प्रयोग किया है। ये उनकी घबराहट की दशा को बताते हैं। कृषकों के लिए जीर्ण, शीर्ण, अधीर आदि प्रयुक्त विशेषणों से किसानों की दीन-हीन दशा का चित्रण होता है।
Answer ख) ‘विप्लव के वीर’ शब्द का प्रयोग बादल के लिए किया गया है। बादल को क्रांति का अग्रणी माना गया है। बादल हर तरफ विनाश कर सकता है। इस विनाश के उपरांत भी बादल का अस्तित्व ज्यों-का-त्यों रह जाता है।
Answer ग) इस काव्यांश में कवि ने विशेषणों का सुंदर प्रयोग किया है। आतंक, वज्र, जीर्ण-शीर्ण आदि विशेषण मन:स्थिति को सटीक रूप से व्यक्त करते हैं। तत्सम शब्दावली का सुंदर प्रयोग है। खड़ी बोली में सहज अभिव्यक्ति है। संबोधन शैली भी है। अनुप्रास अलंकार की छटा है।
Q2)
अशानि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर,
क्षत-विक्षत हत अचल-शरीर,
गगन-स्पर्शी स्पद्र्धा धीर,
हँसते हैं छोटे पैधे लघुभार-
शस्य अपार,
हिल-हिल
खिल-खिल,
हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,
विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।
प्रश्न
(क) आशय स्पष्ट कीजिए-‘ विप्लव रव से छोटे ही हैं शोभा पाते ‘।
(ख) पवत के लिए प्रयुक्त विशेषणों का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ग) वज्रपात करने वाले भीषण बादलों का छोटे पौधे कैसे आहवान करते हैं और क्यों ?
उत्तर
Answer क) इसका आशय यह है कि क्रांति से शोषक वर्ग हिल जाता है। उसे इससे अपना विनाश दिखाई देता है। किसान-मजदूर वर्ग अर्थात शोषित वर्ग क्रांति से प्रसन्न होता है। क्योंकि उन्हें इससे शोषण से मुक्ति तथा खोया अधिकार मिलता है।
Answer ख) पर्वत के लिए निम्नलिखित विशेषणों का प्रयोग किया गया है-
- अशनि-पात से शापित- यह विशेषण उन पर्वतों के लिए है जो बिजली गिरने से भयभीत हैं। क्रांति से बड़े लोग ही भयभीत होते हैं। इस विशेषण का प्रयोग संपूर्ण शोषक वर्ग के लिए किया गया है।
- क्षत-विक्षत हत अचल शरीर- यह विशेषण क्रांति से घायल, भयभीत व सुन्न होकर बिखरे हुए शोषकों के लिए प्रयुक्त हुआ है।
Answer ग) वज्रपात करने वाले भीषण बादलों का आहवान छोटे पौधे हिल-हिलकर, खिल-खिलकर तथा हाथ हिलाकर करते हैं क्योंकि क्रांति से ही उन्हें न्याय मिलने की आशा होती है। उन्हें ही सर्वाधिक लाभ पहुँचता है।
Q3)
अट्टालिका नहीं है रे
आंतक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लावन,
क्षुद्र प्रफुल्ल जलजे सँ
सदा छलकता नीर,
रोग-शोक में भी हँसता है
शैशव का सुकुमार शरीर।
प्रश्न
(क) काव्यांश की दो भाषिक विशेषताओं का उल्लख कीजिए।
(ख) काव्यांश की अलकार-योजना पर प्रकाश डालिए।
(ग) काव्यांश की भाव-सौंदर्य लोखिए।
उत्तर
Answer क) काव्य की दो भाषिक विशेषताएँ-
- तत्सम शब्दावली की बहुलतायुक्त खड़ी बोली
- भाषा में प्रतीकात्मकता
Answer ख) शोक में भी हँसता है-विरोधाभास अलंकार।
Answer ग) कवि के अनुसार धनियों के आवास शोषण के केंद्र हैं। यहाँ सदा शोषण के नए-नए तरीके ढूँढ़े जाते हैं। लेकिन शोषण की चरम-सीमा के बाद होने वाली क्रांति शोषण का अंत कर देती है। साथ ही शोषित वर्ग के बच्चे भी संघर्षशील तथा जुझारू होते हैं। वे रोग तथा शोक में भी प्रसन्नचित्त रहते हैं।
Q4)
तिरती हैं समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जग के दग्ध हृदय पर
निदय विप्लव की प्लावित माया
यह तेरी रण-तरी
भरी आकाक्षाआों से,
घन, भरी-गजन से सजग सुप्त अकुर।
प्रश्न
(क) काव्याशा का भाव-सौंदर्य लिखिए।
(ख) प्रयुक्त अलकार का नाम लिखिए और उसका सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ग) काव्यांश की भाषा पर टिपण्णी कीजिए ।
उत्तर
Answer क) इस काव्यांश में कवि ने बादल को क्रांति का प्रतीक माना है। वह कहता है कि जीवन के सुखों पर दुखों की अदृश्य क्षति ही है। बालक शो सुलेह पृथ के पापं में बिजअंकुल हक आक्शक ओ निहारते हैं।
Answer ख) ‘समीर सागर’, ‘विप्लव के बादल’, ‘दुख की छाया में’ रूपक अलंकार; ‘फिर-फिर’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार तथा ‘सजग सुप्त’ में अनुप्रास अलंकार हैं। इन अलंकारों के प्रयोग से भाषिक सौंदर्य बढ़ गया है।
Answer ग) काव्यांश में प्रयुक्त भाषा संस्कृत शब्दावलीयुक्त खड़ी बोली है जिसमें दृश्य बिंब साकार हो उठा है। ‘मेरी गर्जन’ में बादलों की गर्जना से श्रव्य बिंब उपस्थित है।
कविता के साथ
Q1) ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ पंक्ति में ‘दुख की छाया’ किसे कहा गया हैं और क्यों?
कवि ने समाज में पूँजीपतियों द्वारा किए गए अत्याचार तथा शोषण को दुख की छाया बताया है। इस शोषण का शिकार प्रायः मज़दूर तथा कमज़ोर वर्ग होते हैं। उनके पास सुख नाममात्र के हैं। इसलिए कवि ने उनके सुख को अस्थिर बताया है। यह सुख कुछ पल के लिए भी नहीं रूक पाता है क्योंकि शोषण तथा अत्याचार इन वर्ग के लोगों को जीने नहीं देते हैं। शोषण के कारण गरीब और गरीब होता जा रहा है।
Q2) अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया गया है?
इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने दो लोगों की ओर संकेत किया है। प्रथम में कवि उस पूँजीपति वर्ग को संबोधित कर रहा है, जो किसानों, मज़दूरों का शोषण करते हैं। उन्हें इस बात का अहंकार रहता है कि उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। दूसरे कवि बादल की ओर संकेत करता है। उसके अनुसार बादल क्रांति का आगाज़ करते हैं। कवि कहता है कि तुम्हारी एक गर्जना से बड़े-से-बड़ा योद्धा भी हार जाता है। अतः तुम क्रांति के कारण हो। तुम ही समाज में व्याप्त अत्याचारियों का वध कर सकते हो।
Q3) विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते पंक्ति में विप्लव-रव से क्या तात्पर्य है? छोटे ही है, शोभा पाते ऐसा क्यों कहा गया है?
‘विप्लव-रव’ से कवि का तात्पर्य क्रांति से है। कवि के अनुसार जब क्रांति होती है, तो गरीब लोगों में या आम जनता में जोश भर जाता है। यह वही वर्ग है, जो शोषण का शिकार होते हैं। अतः जब समाज में क्रांति होती है, तो इन्हीं से आरंभ होती है। यही क्रांति के जनक होते हैं। क्रांति का आगाज़ होते ही नए और सुनहरे भविष्य के सपने संजोने लगते हैं। यह प्रसन्नता इनके चेहरे में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होती है। कहा गया है कि यही वर्ग क्रांति के समय शोभा पाता है।
Q4) बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती है?
बादलों के आगमन से आकाश बादलों से भर जाता है। आकाश में गर्जना होने लगती है तथा बिजली चमकने लगती है। चारों तरफ भयंकर आँधी आती है। बिजली की गर्जना पृथ्वी का हृदय कंपकपा देती है। इसके साथ ही मूसलाधार बारिश आरंभ होने लगती है। वर्षा का जल पाकर धरती के अंदर सुप्त बीजों में अंकुर फूट पड़ते हैं। छोटे पौधों में नई जान आ जाती है। हवा के ज़ोर से वह हिलने लगते हैं। किसान वर्षा का जल पाकर प्रसन्नता से भर जाता है।
Q5) व्याख्या कीजिए
i) तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया
Answer) कवि बादलों को संबोधित करते हुए कहता है कि इस समीर रूपी सागर में तू तैरता है। अर्थात लोगों की इच्छा से युक्त उनकी नाव हवा रूपी सागर में तैरती है। संसार में व्याप्त सुख सदैव साथ नहीं रहते हैं। इसी कारण इन्हें अस्थिर कहा गया है अर्थात जो स्थिर न रहें। इन पर दुख की छाया हमेशा मंडराती रहती है। संसार के लोगों का हृदय दुखों के कारण दग्ध है। ऐसे हृदय पर क्रांति रूपी माया विद्यमान है। हे बादल! तुम आओ और इस दुखी हृदय वाले संसार को अपनी क्रांति रूपी गर्जना से आनंद प्रदान करो। अर्थात जैसे वर्षाकाल में बादलों की गर्जना सुनकर गर्मी से बेहाल लोगों को खुशी प्रदान होती है, वैसे ही शोषण तथा अत्याचार से परेशान लोगों को क्रांति से खुशी प्राप्त होती है।
ii) अट्टालिका नहीं है रे
आतंक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विलप्व-प्लावन
Answer) व्याख्या- प्रस्तुत पंक्ति में कवि पूँजीपतियों पर व्यंग्य कर रहा है। उसके अनुसार पूँजीपति लोग ऊँची-ऊँची इमारतों में रहते हैं। ये सारी उम्र गरीबों, किसानों तथा मज़दूरों पर अत्याचार करते हैं तथा उनका शोषण करते हैं। अतः उसके लिए पूँजीपतियों के रहने के मकान नहीं हैं, ये आतंक भवन हैं। जिनसे सारे अत्याचारों तथा शोषण का जन्म होता है। कवि आगे कहता है कि लेकिन यह भी स्मरणीय है कि क्रांति का आगाज़ हमेशा गरीबों में ही होता है। ये लोग ही शोषण का सबसे बड़ा शिकार होते हैं। कवि ने इन्हें जल प्लावन की संज्ञा दी है। वह कहता है कि क्रांति रूपी बारिश का पानी जब एकत्र होकर बहता है, तो वह कीचड़ से युक्त पृथ्वी को डूबो देने का सामर्थ्य रखता है। कवि ने पूंजीपतियों को कीचड़ तथा की संज्ञा दी है, जिसे क्रांति रूपी जल-प्लावन डूबो देता है।
कला की बात
Q1) पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। आपको कविता का कौन-सा मानवीय रूप पसंद आया और क्यों?
Answer) कवि ने पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया है। मुझे प्रकृति का निम्नलिखित मानवीय रूप पसंद आया-
हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार-
शस्य अपार,
हिल-हिल
खिल-खिल,
हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,
इस काव्यांश में छोटे-छोटे पौधों को शोषित वर्ग के रूप में बताया गया है। इनकी संख्या सर्वाधिक होती है। ये क्रांति की संभावना से प्रसन्न होते हैं। ये हाथ हिला-हिलाकर क्रांति का आहवान करते हुए प्रतीत होते हैं। यह कल्पना अत्यंत सुंदर है।
Q2) कविता में रूपक अलंकार का प्रयोग कहाँ-कहाँ हुआ है? संबंधित वाक्यांश को छाँटकर लिखिए।
Answer) रूपक अलंकार के प्रयोग की पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं-
- तिरती है समीर-सागर पर
- अस्थिर सुख पर दुख की छाया
- यह तेरी रण-तरी
- भेरी–गर्जन से सजग सुप्त अंकुर
- ऐ विप्लव के बादल
- ऐ जीवन के पारावार
Q3) इस कविता में बादल के लिए ऐ विप्लव के वीर!, ऐ जीवन के पारावार! जैसे संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। बादल राग कविता के शेष पाँच खड़ों में भी कई संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। जैसे- अरे वर्ष के हर्ष!, मेरे पागल बादल!, ऐ निर्बंध!, ऐ स्वच्छंद!, ऐ उद्दाम!, ऐ सम्राट!, ऐ विप्लव के प्लावन!, ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार!, उपर्युक्त संबोधनों की व्याख्या करें तथा बताएँ कि बादल के लिए इन संबोधनों का क्या औचित्य है?
Answer) निम्नलिखित संबोधनों की व्याख्या इस प्रकार हैं-
- (क) अरे वर्ष के हर्ष!- बादलों को ऐसा संबोधन दिया गया है क्योंकि बादल वर्ष में एक बार आते हैं। जब आते हैं, तो पूरी पृथ्वी को बारिश रूपी सौगात दे जाते हैं। वर्षा का जल पाकर किसान, लोग, धरती तथा जीव-जन्तु सब हर्ष से भर जाते हैं।
- (ख) मेरे पागल बादल!- बादल मतवाले होते हैं। जहाँ मन करता है, वहीं बरस जाते हैं। पागल व्यक्ति के समान गर्जना करते हैं, हल्ला मचाते हैं और यहाँ से वहाँ घूमते-रहते हैं। इसलिए उन्हें पागल कहा गया है।
- (ग) ऐ निर्बंध!- बादल बंधन से मुक्त होते हैं। इन्हें कोई बंधन में नहीं बांध सकता है। जहाँ इनका मन होता है, वहाँ जाते हैं और वर्षा करते हैं।
- (घ) ऐ स्वच्छंद!- बादल स्वच्छंद होते हैं। इन्हें कोई कैद में नहीं रख सकता है। स्वच्छंदतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं।
- (ङ) ऐ उद्दाम!- बादल बहुत क्रूर तथा प्रचण्ड होते हैं। वर्षा आने से पूर्व यह आकाश में कोहराम मचा देते हैं। मनुष्य को आकाश में अपने होने की सूचना देते हैं। तेज़ आंधी तथा तूफान चलने लगता है। मनुष्य इनकी उपस्थिति को नकार नहीं सकता है।
- (च) ऐ सम्राट!- बादल सम्राट हैं। वे किसी की नहीं सुनते हैं, स्वतंत्रतापूर्वक घूमते हैं, अपनी शक्ति से लोगों को डरा देते हैं, बंधन मुक्त होते हैं, लोगों का पोषण करने वाले हैं, सारे संसार में विचरण करते हैं। उनके इन गुणों के कारण उन्हें सम्राट कहा गया है।
- (छ) ऐ विप्लव के प्लावन!- प्रलयकारी हैं। बादल में ऐसी शक्ति हैं कि वे चाहे तो प्रलय ला सकते हैं। जब बादले फट जाते हैं, तो चारों तरफ भयंकर तबाही मच जाती है। इसी कारण उन्हें ऐ विप्लव के प्लावन कहा गया है।
- (ज) ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार!- बादल ऐसे सुकुमार शिशु हैं, जो सदियों से हमारे साथ हैं। अपने सुंदर-सुंदर रुपों से ये हमें बच्चे के समान जान पड़ते हैं। इनका यह स्वरूप सदियों से चला आ रहा है।
Q4) कवि बादलों को किस रूप में देखता हैं? कालिदास ने ‘मेघदूत’ काव्य में मेघों को दूत के रूप में देखा/अप अपना कोई काल्पनिक बिंब दीजिए।
Answer) कवि बादलों को क्रांति के प्रतीक के रूप में देखता है। बादलों के द्वारा वह समाज में व्याप्त शोषण को खत्म करना चाहता है ताकि शोषित वर्ग को अपने अधिकार मिल सकें। काल्पनिक बिंब- हे आशा के रूपक हमें जल्दी ही सिक्त कर दो अपनी उजली और छोटी-छोटी बूंदों से जिनमें जीवन का राग छिपा है। हे आशा के संचारित बादल!
Q5) कविता को प्रभावी बनाने के लिए कवि विशेषणों का सायास प्रयोग करता है जैसे- अस्थिर सुख। सुख के साथ अस्थिर विशेषण के प्रयोग ने सुख के अर्थ में विशेष प्रभाव पैदा कर दिया है। ऐसे अन्य विशेषणों को कविता से छाँटकर लिखें तथा बताएँ कि ऐसे शब्द-पदों के प्रयोग से कविता के अर्थ में क्या विशेष प्रभाव पैदा हुआ है?
Answer) कविता में कवि ने अनेक विशेषणों का प्रयोग किया है जो निम्नलिखित हैं
- (i) निर्दय विप्लव- विनाश को अधिक निर्मम व विनाशक बताने हेतु ‘निर्दय’ विशेषण।
- (ii) दग्ध हृदय- दुख की अधिकता व संतप्तता हेतु’दग्ध’विशेषण।
- (iii) सजग- सुप्त अंकुर- धरती के भीतर सोए, किंतु सजग अंकुर-हेतु ‘सजग-सुप्त’ विशेषण।
- (iv) वज्रहुंकार- हुंकार की भीषणता हेतु ‘वज्र’ विशेषण।
- (v) गगन-स्पर्शी- बादलों की अत्यधिक ऊँचाई बताने हेतु ‘गगन’।
- (vi) आतंक-भवन- भयावह महल के समान आतंकित कर देने हेतु।
- (vii) त्रस्त नयन- आँखों की व्याकुलता।
- (viii) जीर्ण बाहु- भुजाओं की दुर्बलता।
- (ix) प्रफुल्ल जलज- कमल की खिलावट।
- (x) रुदध कोष- भरे हुए खजानों हेतु।
That’s it. These were the solutions of NCERT Class 12 Hindi Chapter 7 – बादल राग. Our team hopes that you have found these solutions helpful for you. If you have any doubt related to this chapter then feel free to comment your doubts below. Our team will try their best to help you with your doubts.