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Chapter | 5. पर्वत प्रदेश में पावस |
Author | सुमित्रानंदन पंत |
Subject | Hindi |
Textbook | Sparsh-2, काव्य भाग |
Class | Tenth |
Category | NCERT Solutions for Class 10 |
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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 5
पर्वत प्रदेश में पावस
Q1) पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए?
Answer) वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश में प्रकृति प्रतिपल नया वेश ग्रहण करती दिखाई देती है। इस ऋतु में प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन आते हैं –
- बादलों की ओट में छिपे पर्वत मानों पंख लगाकर कहीं उड़ गए हों तथा तालाबों में से उठता हुआ कोहरा धुएँ की भाँति प्रतीत होता है।
- पर्वतों से बहते हुए झरने मोतियों की लड़ियों से प्रतीत होते है।
- पर्वत पर असंख्य फूल खिल जाते हैं।
- ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर एकटक देखते हैं।
- बादलों के छा जाने से पर्वत अदृश्य हो जाता है।
Q2) ‘मेखलाकार’ शब्द का क्या अर्थ है? कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है?
Answer) मेखलाकार का अर्थ है गोल, जैसे – कमरबंध। यहाँ इस शब्द का प्रयोग पर्वतों की श्रृंखला के लिए किया गया है। ये पावस ऋतु में दूर-दूर तक गोल आकृति में फैले हुए हैं।
Q3) ‘सहस्र दृग-सुमन’ से क्या तात्पर्य है? कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा?
Answer) कवि ने इस पद का प्रयोग सजीव चित्रण करने के लिए किया है। ‘सहस्र दृग-सुमन’ का अर्थ है – हजारों पुष्प रूपी आँखें। कवि ने इसका प्रयोग पर्वत पर खिले फूलों के लिए किया है। वर्षाकाल में पर्वतीय भाग में हजारों की संख्या में पुष्प खिले रहते हैं। कवि ने इन पुष्पों में पर्वत की आँखों की कल्पना की है। ऐसा लगता है मानों पर्वत अपने सुंदर नेत्रों से प्रकृति की छटा को निहार रहा है।
Q4) कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों?
Answer) कवि ने तालाब की समानता दर्पण से की है। जिस प्रकार दर्पण से प्रतिबिंब स्वच्छ व स्पष्ट दिखाई देता है, उसी प्रकार तालाब का जल स्वच्छ और निर्मल होता है। पर्वत अपना प्रतिबिंब दर्पण रुपी तालाब के जल में देखते हैं।
Q5) पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर क्यों देख रहे थे और वे किस बात को प्रतिबिंबित करते हैं?
Answer) पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर अपनी उच्चाकांक्षाओं के कारण देख रहे थे। वे बिल्कुल मौन रहकर स्थिर रहकर भी संदेश देते प्रतीत होते हैं कि उद्धेश्य को पाने के लिए अपनी दृष्टि स्थिर करनी चाहिए और बिना किसी संदेह के चुपचाप मौन रहकर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होना चाहिए। आकांक्षाओं को पाने के लिए शांत मन तथा एकाग्रता आवश्यक है।
Q6) शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धँस गए?
Answer) आसमान में अचानक बादलों के छाने से मूसलाधार वर्षा होने लगी। वर्षा की भयानकता और धुंध से शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में धँस गए प्रतीत होते हैं।
Q7) झरने किसके गौरव का गान कर रहे हैं? बहते हुए झरने की तुलना किससे की गई है?
Answer) झरने पर्वतों की उच्चता और महानता के गौरव का गान कर रहे हैं। कवि ने बहते हुए झरनों की तुलना मोतियों की लड़ियों से की है।
Q8) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए –
i. है टूट पड़ा भू पर अंबर
ii. यों जलद-यान में विचर-विचर
था इंद्र खेलता इंद्रजाल।
iii. गिरिवर के उर से उठ-उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर।
Answer i) वर्षा इतनी तेज और मुसलाधार है कि ऐसा लगता है मानो आकाश धरती पर टूट पड़ा हो। बादलों ने सारे पर्वत को ढक लिया है। पर्वत अब बिल्कुल दिखाई नहीं दे रहे। पृथ्वी और आकाश एक हो गए हैं अब बस झरने का शोर ही शेष रह गया है।
Answer ii) कभी गहरे बादल, कभी तेज़ वर्षा और तालाबों से उठता धुआँ − यहाँ वर्षा ऋतु में पल-पल प्रकृति वेश बदल जाता है। यह सब दृश्य देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे बादलों के विमान में विराजमान राजा इन्द्र विभिन्न प्रकार के जादुई खेल-खेल रहे हों।
Answer iii) इन पंक्तियों का भाव यह है कि पर्वत पर उगे विशाल वृक्ष ऐसे लगते हैं मानो इनके हृदय में अनेकों महत्वकांक्षाएँ हैं और ये चिंतातुर आसमान को देख रहे हैं।
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